7 जनवरी 2016 को नाभिकीय भौतिक विज्ञानी , मशहूर दूरदर्शन शख्सियत व लेखक परवेज अमिराली हुडभोय हैदराबाद साहित्य समारोह में शिरकत करने आये थे . परवेज अमीराली भारतीय व विश्व विज्ञान पर ख़िताब करते हुवे कहा कि " मुसलमानों को तरक्की व याफ्ता के लिए विज्ञान से अवश्य जुड़ना चाहिए . आज भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश , इंडोनेशिया व विभिन्न देशों के मुसलमानों की बदहाली की वजह यह है कि वह साइंसी उलूम के साथ मजबूती से नही जुड़ रहे हैं । अपने ख़िताब में मुसलमानों की बदहाली व तररकी अक़ीदे व इतिहास पर भी रौशनी डाला ."
मैंने साइंस और टेक्नोलॉजी से सम्बंधित बहुत से किताबों का अध्यन किया और पाया की साइंस वह इल्म है जो धर्म व कौमियत , रंग व नस्ल और इलाके के नज़रये से ऊपर है ।
चार से पांच सौ साल पहले साइंसी उलूम की तरक़्क़ी के छेत्र - इल्मे रियाजी ( गणित - Mathematics ), इल्मे नबातात ( Botony ) , इल्मे तबिआत ( भौतिकी - Physics ), इल्मे कीमिया ( रासायनिक शास्त्र - Chemistry ) व मेडिकल साइंस में मुस्लिम वैज्ञानिक का दबदबा था जो आज धीरे धीरे काम होते गया । इल्मे रियाजी ( गणित ) अरब वालों का पसंदीदा विषय रहा है । मुहम्मद बिन मूसा ख्वारिज़्मी , जिसे यूरोप में अल्गोरिज़्म के नाम से जाना जाता है . आप ने रियाजी ( हिसाब ) , फल्कीयात ( आसमानी चीजो से संबंधित चीज ) , जुगराफिया ( भूगोल- Geography ) और इतिहास में असाधारण कारनामे सर - अंजाम दिये । ख्वारिज़्मी दुनिया के पहले इल्मे रियाज ( गणित ) के जानकार थे जिन्होंने शून्य का इज़ाद ( आविष्कार ) किया । ' अल- जबर वल -मुकाबला ' ख्वारिज़्मी की मशहूर इल्मे रियाज़ी किताब में से एक थी जिसे बारहवीं सदी में तर्जुमा किया गया और सोलहवीं सदी तक यूरोप यूनिवर्सिटी कोर्से में शामिल कर लिया गया । जाबिर बिन हैयान , जिसे यूरोप में गेबर के नाम से जाना जाता है , इसके अलावा आप इमाम जाफ़रे सादिक रहमतुल्लाहि अलैहि के शागिर्द भी थे । कीमिया ( रासायनिक शास्त्र - Chemistry ) में आपकी खिदमत बहुत कबीले क़द्र है । इल्मे कीमिया के मुताल्लिक आपने 22 किताबें लिखीं जो आज भी अरबी ज़बान में मौजूद है और बाद में अंग्रेजी और लातिनी में तर्जुमे हुवे । जाबिर बिन हैयान दुनिया के उन गिने चुने वैज्ञानिकों में आते है जिसने अयस्क से धातु की शुद्धिकरण ( Purification of metals from ores ) जंग से संरक्षण ( Protection of Iron from Corrosion ) के बारे में अहम जानकारी की खोज़ की । अबु अली मुहम्मद हसन इब्ने हैसम , जिसे यूरोप में अल -हैजन के नाम से जाना जाता है . अल -हैजन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने यूनानियों के नज़रिए को गलत साबित करते हुवे बताया की रौशनी की किरणें आँखों से चीजों की तरफ नहीं जाती बल्कि चीजों से आँखों की तरफ आती है ।
चार से पांच सौ साल पहले साइंसी उलूम की तरक़्क़ी के छेत्र - इल्मे रियाजी ( गणित - Mathematics ), इल्मे नबातात ( Botony ) , इल्मे तबिआत ( भौतिकी - Physics ), इल्मे कीमिया ( रासायनिक शास्त्र - Chemistry ) व मेडिकल साइंस में मुस्लिम वैज्ञानिक का दबदबा था जो आज धीरे धीरे काम होते गया । इल्मे रियाजी ( गणित ) अरब वालों का पसंदीदा विषय रहा है । मुहम्मद बिन मूसा ख्वारिज़्मी , जिसे यूरोप में अल्गोरिज़्म के नाम से जाना जाता है . आप ने रियाजी ( हिसाब ) , फल्कीयात ( आसमानी चीजो से संबंधित चीज ) , जुगराफिया ( भूगोल- Geography ) और इतिहास में असाधारण कारनामे सर - अंजाम दिये । ख्वारिज़्मी दुनिया के पहले इल्मे रियाज ( गणित ) के जानकार थे जिन्होंने शून्य का इज़ाद ( आविष्कार ) किया । ' अल- जबर वल -मुकाबला ' ख्वारिज़्मी की मशहूर इल्मे रियाज़ी किताब में से एक थी जिसे बारहवीं सदी में तर्जुमा किया गया और सोलहवीं सदी तक यूरोप यूनिवर्सिटी कोर्से में शामिल कर लिया गया । जाबिर बिन हैयान , जिसे यूरोप में गेबर के नाम से जाना जाता है , इसके अलावा आप इमाम जाफ़रे सादिक रहमतुल्लाहि अलैहि के शागिर्द भी थे । कीमिया ( रासायनिक शास्त्र - Chemistry ) में आपकी खिदमत बहुत कबीले क़द्र है । इल्मे कीमिया के मुताल्लिक आपने 22 किताबें लिखीं जो आज भी अरबी ज़बान में मौजूद है और बाद में अंग्रेजी और लातिनी में तर्जुमे हुवे । जाबिर बिन हैयान दुनिया के उन गिने चुने वैज्ञानिकों में आते है जिसने अयस्क से धातु की शुद्धिकरण ( Purification of metals from ores ) जंग से संरक्षण ( Protection of Iron from Corrosion ) के बारे में अहम जानकारी की खोज़ की । अबु अली मुहम्मद हसन इब्ने हैसम , जिसे यूरोप में अल -हैजन के नाम से जाना जाता है . अल -हैजन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने यूनानियों के नज़रिए को गलत साबित करते हुवे बताया की रौशनी की किरणें आँखों से चीजों की तरफ नहीं जाती बल्कि चीजों से आँखों की तरफ आती है ।
अल -हैजन दुनिया के पहले भौतिक वैज्ञानिक थे जिन्होंने खुर्दबीन ( माइक्रोस्कोप ) की इज़ाद का रास्ता हमवार किया और साथ ही प्रकाश के प्रवर्तन ( Reflection of Light ) व प्रकाश के अपवर्तन ( Refrection of Light ) के बारे में अहम सिद्धांत पेश किये ।
अबु अली हुसैन इब्ने अब्दुल्लाह सीना , जिसे यूरोप में कहा जाता ऐवी सीना है । आप थर्मामीटर के मुजीद ( आविष्कारक ) है । आप ने इल्मे रियाजी , फलसफा , मेडिकल साइंस , सियासत और कानून से मुताल्लिक़ किताबें लिखीं ।
इस तरह इस्लाम के सुनहरे युग में कई वैज्ञानिक - अबु मूसा अली इब्ने तबरी , अबु अब्बास अहमद फरगानी , अबु बक्र मुहम्मद इब्ने यहया इब्ने बाजा , अबु बक्र मुहम्मद अब्दुल -मालिक इब्ने तुफैल , अबु वलीद मुहम्मद इब्ने अब्बास मजुसी और हुनैन इब्ने इसहाक जैसे महान वैज्ञानिक थे जिसने दुनिया को ही बदल कर रख दिया ।
यह दुर्भाग्य है कि दुनिया में मुस्लिम वैज्ञानिको का अनुपात धीरे धीरे घटता जा रहा है ।
मुस्लिम वैज्ञानिकों के अनुपात घटने की सबसे अहम वज़ह यह रही है कि कट्टरपंथीयो ने बहुत से वैज्ञानिको पर कुफ्र का फतवा लगा दिया जिससे बहुतो का हौसला गिरता गया और आज भी मुसलमान विज्ञान के साथ दिलचस्पी से नहीं जुड़ रहे है ....कुछ कट्टरपंथी विचारधारा के लोग विज्ञान को मुस्लिम दुनिया के लिए सीधे तौर पर नकार देते है जिसका आधार अन्धविश्वास पर टिका हुवा है ।
लेकिन हकीकत ये है कि जब हम कुरआन को अच्छी तरह समझ कर पढ़ते है तो पाते है की कुरआन में बहुत सी आयत है जहाँ कुदरती घटनाओं के बारे में विस्तार से वर्णन है जैसे की - कायनात की पैदाइश ( The Big Bang ) , कहकशाओ की पैदाइश से पहले धुवाँ ( Initial Gaseous Mass Before Creation of Glaxies ) , ज़मीन अंडे की शक्ल की है ( Shape of the Earth in Spherical ) , चाँद की रौशनी प्रवर्तित है ( Moonlight is Reflected Light ) , सूरज ख़त्म हो जायेगा ( The Sun Will Extinguish ) , सितारों के दरम्यान माद्दा ( Insterstellar Matter ) , फैलती हुवी कायनात ( The Expending Universe ) , एटम तक्सीम किये जा सकते है ( Atoms can be divided ) , पानी का चक्र ( Water Cycle ) , भाप ( बादल ) बनने की क्रिया ( Winda Impregnate Clouds ) , ज़मीन और उससे मुत्ताल्लिक चीजें ( Geology ) व जनिनि मराहिल ( Embryological Stages ) आदि ।
यदि मुस्लिम दुनिया इस्लाम के सुनहरे युग में मुस्लिम वैज्ञानिकों के योगदान को याद करेंगे ....तो वे दोबारा उभर सकते है ।
मेरी खासकर भारतीय मुसलमानों से उम्मीद है कि - मिसाइल मेन डॉ ए . पी . जे . अब्दुल कलाम , पक्षीविज्ञानी का अंतर्राष्ट्र्रीय चेहरा - सलीम अली , आइएस ऑफिसर व कार्डिनल ज्यामिति के संस्थापक - डॉ एम अहमद , जामिया मिलिया इस्लामिया नई देल्ही के पूर्व वाइस चांसलर डॉ सैय्यद जहूर कासिम , डेक्कन मेडिकल कॉलेज हैदराबाद के डीन डॉ सी . एम . हबीबुल्लाह व वैज्ञानिक व शायर गौहर रज़ा जैसे और वैज्ञानिक पैदा करे ताकि विज्ञान के क्षेत्र में मुसलमानों का दबदबा दोबारा कायम हो सकें ।
( लेख़क इंजीनियर अफ्फान नोमानी , रेसर्चेर व स्तंभकार है )
( The writer Engineer Affan Nomani is a Research Analyst and Columnist . He has been publishing in many leading newspaper and Magazine such as The Hans India , DC , Voice of Politics and Vision Muslim Today Magazine for the last few years. we always believe that there is no need to be defensive in front of communal forces . He may be reached at affannomani02@gmail.com )
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